ED और प्राइवेट कंपनियों की साझेदारी क्यों जरूरी है?

ED के एक अधिकारी ने बताया कि कई बार क्रिप्टो अपराध की जांच में सबसे बड़ी दिक्कत होती है — “जानकारी का समय पर ना मिल पाना।”
अगर क्रिप्टो एक्सचेंज तुरंत डेटा दें, और संदिग्ध वॉलेट्स की जानकारी शेयर करें, तो कई मामलों में अपराध को वहीं रोका जा सकता है।

जब तकनीक अपराधियों के पक्ष में हो जाए

आज के क्रिप्टो अपराधी अब पहले जैसे नहीं रहे। वे:

  • AI का इस्तेमाल करके लोगों को धोखा दे रहे हैं
  • एक ब्लॉकचेन से दूसरे ब्लॉकचेन में फंड्स ट्रांसफर करके ट्रेसिंग से बच रहे हैं
  • और वो वॉलेट्स इस्तेमाल कर रहे हैं जो किसी भी एक्सचेंज से जुड़े नहीं होते

भारत की नई रणनीति: अब छूट नहीं मिलेगीभारत ने अब क्रिप्टो को PMLA कानून के तहत लाकर ED को और मजबूत बना दिया है। इसके साथ-साथ एजेंसियां अब डिजिटल फॉरेंसिक और ब्लॉकचेन एनालिसिस में अपनी पकड़ तेज़ कर रही हैं।

इंडस्ट्री क्या कहती है?

Binance के अधिकारी Nils Andersen-Röed ने साफ कहा:

“हम जानते हैं कि क्रिप्टो अपराध पर लगाम लगाना ED की प्राथमिकता है, और हम इस मिशन में उनके साथ खड़े हैं।”

आगे का रास्ता: भरोसा, तकनीक और पारदर्शिता

अगर हमें क्रिप्टो अपराध को रोकना है, तो तीन बातें ज़रूरी होंगी:

  1. सरकार और क्रिप्टो कंपनियों के बीच भरोसेमंद रिश्ता
  2. स्मार्ट और तेज़ निगरानी उपकरण
  3. और सबसे अहम — खुला और साफ-सुथरा संवाद

निष्कर्ष: क्रिप्टो का भविष्य तभी सुरक्षित होगा, जब हम साथ मिलकर लड़ेंगे

क्रिप्टो अपराध एक तकनीकी समस्या से ज़्यादा, एक सामाजिक चुनौती बन चुका है।
अगर सभी मिलकर कदम बढ़ाएं — सरकार, इंडस्ट्री और आम लोग — तो ना सिर्फ भारत डिजिटल रूप से मजबूत बनेगा, बल्कि दुनिया को भी दिखाएगा कि “सुरक्षा और नवाचार साथ-साथ चल सकते हैं।”

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