तिरुवनंतपुरम: 2 मई को केरल के तट पर एक नया इतिहास लिखा गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले गहरे समुद्र वाले ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल विझिंजम पोर्ट को राष्ट्र को समर्पित किया। यह बंदरगाह भारत के लिए न केवल व्यापारिक दृष्टि से बल्कि रणनीतिक लिहाज से भी एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय समुद्री नक्शे पर भारत की मज़बूत उपस्थिति

विझिंजम पोर्ट की सबसे बड़ी ताकत इसकी भौगोलिक स्थिति है। यह बंदरगाह विश्व के व्यस्ततम अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग के बेहद करीब स्थित है। इसके कारण भारत को अब सिंगापुर, कोलंबो या दुबई जैसे विदेशी ट्रांसशिपमेंट हब पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

जहाजरानी और बंदरगाह मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार, इस बंदरगाह की प्राकृतिक गहराई लगभग 24 मीटर है, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाजों के लिए उपयुक्त बनाती है। इतना ही नहीं, बंदरगाह के संचालन के पहले ही चरण में 1.5 मिलियन TEUs (Twenty-foot Equivalent Units) की हैंडलिंग क्षमता है, जो आने वाले वर्षों में 5 मिलियन TEUs तक पहुंच सकती है।

स्थान: विझिंजम पोर्ट अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग से केवल 10 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है, जिससे यह रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

प्राकृतिक गहराई: इस पोर्ट की प्राकृतिक गहराई 24 मीटर है, जो दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाजों को संभालने में सक्षम बनाती है।

क्षमता: पहले चरण में, विझिंजम पोर्ट की वार्षिक कंटेनर हैंडलिंग क्षमता 1.5 मिलियन TEUs है। आगामी चरणों में यह क्षमता 5 मिलियन TEUs तक बढ़ाई जाएगी।

निर्माण और संचालन: इस परियोजना का निर्माण अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड द्वारा किया गया है, और यह 40 वर्षों तक संचालन करेगा।

निर्माण और भागीदारी

इस परियोजना का विकास अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ) द्वारा किया गया है। यह भारत सरकार और केरल सरकार के साथ पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत संचालित है। कंपनी को 40 वर्षों तक इस पोर्ट के संचालन का अधिकार मिला है।

बंदरगाह निर्माण में लगभग ₹7,700 करोड़ की लागत आई है। इसके साथ जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स — जैसे कि हाइवे कनेक्टिविटी और रेलवे सुरंग — भविष्य में इसे एक मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स हब बनाएंगे।

रोज़गार और आर्थिक प्रभाव

विझिंजम पोर्ट के संचालन से केरल के तटीय क्षेत्रों में हजारों नए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे। इसके अलावा, यह बंदरगाह भारतीय निर्यातकों के लिए माल ढुलाई की लागत और समय को काफी हद तक कम कर देगा।

वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह बंदरगाह भारत को “समुद्री आत्मनिर्भरता” की दिशा में ले जाएगा। पहले जहां अधिकतर कंटेनर कोलंबो या सिंगापुर भेजे जाते थे, अब वही सेवाएं भारत के भीतर उपलब्ध होंगी।

प्रधानमंत्री का संबोधन

अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,

“विझिंजम पोर्ट न केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, बल्कि यह नए भारत की महत्वाकांक्षा और क्षमताओं का प्रतीक है। इससे तटीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और भारत के समुद्री व्यापार को नई ऊंचाइयां मिलेंगी।”

भविष्य की संभावनाएं

सरकार और अदानी समूह की योजना है कि भविष्य में इस बंदरगाह को एक स्मार्ट पोर्ट के रूप में विकसित किया जाए, जहाँ AI-आधारित कंटेनर ट्रैकिंग, ग्रीन एनर्जी, और डिजिटल कस्टम प्रोसेसिंग जैसी सुविधाएं होंगी।

साथ ही, विझिंजम पोर्ट से जुड़े रेलवे नेटवर्क को भारत के मालवाहक गलियारों (freight corridors) से जोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है, जिससे यह बंदरगाह न केवल दक्षिण भारत बल्कि देश के उत्तरी और मध्य हिस्सों के लिए भी उपयोगी हो सकेगा।


निष्कर्ष:

विझिंजम पोर्ट का राष्ट्र को समर्पण भारत के समुद्री इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है। यह बंदरगाह देश को न केवल व्यापारिक आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की रणनीतिक स्थिति को भी मजबूत करेगा।

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