मुख्य बिंदु: अमेरिकी सीनेट में Genius Act को मिली 66-32 वोटों से मंजूरी

  • डेमोक्रेट्स ने बिल में उपभोक्ता सुरक्षा और टेक दिग्गजों पर नियंत्रण के लिए संशोधन जोड़े
  • अंतिम वोट इस सप्ताह किसी भी समय हो सकता है
  • बिल से अमेरिकी वित्तीय ढांचे में डिजिटल संपत्तियों के लिए साफ़ दिशा मिलेगी

स्टेबलकॉइन और Genius Act: क्या है मामला?

स्टेबलकॉइन (Stablecoin) वो क्रिप्टोकरेंसी होती है जो अमेरिकी डॉलर जैसी स्थिर मुद्राओं से जुड़ी होती है। यह डिजिटल मुद्रा की स्थिरता बनाए रखती है और निवेशकों के लिए कम जोखिम का साधन बनती है। फिनटेक कंपनियाँ जैसे PayPal और Stripe पहले ही इसे अपना चुकी हैं।

अमेरिका में कॉइन के जारीकरण और संचालन को विनियमित करने के लिए प्रस्तावित एक कानून है। यह बिल वित्तीय पारदर्शिता, उपभोक्ता सुरक्षा और टेक कंपनियों पर नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए लाया गया है।

सीनेट में बड़ा कदम: डेमोक्रेट्स ने दिया इस बिल को समर्थन

सोमवार को अमेरिकी सीनेट में बिल को 66-32 वोटों से मंज़ूरी मिली। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि यह इंगित करता है कि अमेरिका अब डिजिटल फाइनेंस को गंभीरता से ले रहा है।

इससे पहले, डेमोक्रेट्स ने बिल को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि यह उपभोक्ताओं, वित्तीय प्रणाली और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बन सकता है। लेकिन संशोधन के बाद, डेमोक्रेट नेताओं ने समर्थन दिया, जिससे यह बिल आगे बढ़ सका।

डेमोक्रेट्स द्वारा प्रस्तावित प्रमुख संशोधन:

  1. मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ सख्त नियम: स्टेबलकॉइन जारी करने वालों को अब बैंक-स्तर के KYC और AML मानकों का पालन करना होगा।
  2. बड़ी टेक कंपनियों पर नियंत्रण: Meta (Facebook) जैसी कंपनियाँ अब बिना अनुमति के अपनी स्टेबलकॉइन नहीं जारी कर सकेंगी।
  3. ब्याज देने वाले स्टेबलकॉइन पर रोक: निवेशकों को गुमराह करने वाले यील्ड-बेस्ड स्टेबलकॉइन पर प्रतिबंध लगेगा।
  4. दिवालियापन में ग्राहक की प्राथमिकता: अगर कोई कंपनी बंद होती है, तो ग्राहकों को उनका पैसा पहले लौटाया जाएगा।

सेनेटर मार्क वॉर्नर (डेमोक्रेट, वर्जीनिया) ने कहा,

“बिल पूर्णतः परिपूर्ण नहीं है, लेकिन यह वर्तमान स्थिति से कहीं बेहतर है। यह स्टेबलकॉइन के लिए उच्च मानक तय करता है, बड़े टेक के हस्तक्षेप को सीमित करता है, और डिजिटल संपत्तियों के लिए एक पारदर्शी ढांचा तैयार करता है।”

 $250 बिलियन के स्टेबलकॉइन मार्केट में अमेरिका की अग्रणी भूमिका

डिजिटल चेंबर ऑफ कॉमर्स जैसी संस्थाओं ने इस बिल को अमेरिका की क्रिप्टो लीडरशिप की शुरुआत” बताया। इस बिल से अमेरिका अब क्रिप्टो नियमन में न केवल शामिल हो रहा है, बल्कि नेतृत्व करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

वर्तमान में, स्टेबलकॉइन का वैश्विक मार्केट $237 बिलियन डॉलर तक पहुँच चुका है, और अमेरिका अब इसमें सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है।

रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच समझौता

सीनेट में रिपब्लिकन की संख्या 53 है, जो बहुमत है, लेकिन सीनेट के नियमों के अनुसार किसी भी कानून को पारित करने के लिए आमतौर पर 60 या अधिक वोटों की आवश्यकता होती है।

डेमोक्रेट्स की मांग पर रिपब्लिकन नेताओं ने संशोधन स्वीकार किए, जिससे सोमवार को डेमोक्रेट नेताओं का समर्थन मिला और इस बिल ने 66 वोटों के साथ बाधा पार की।

विवादित मुद्दे: ट्रंप परिवार का नाम नहीं शामिल

हालांकि बिल में कई संशोधन जोड़े गए, फिर भी डेमोक्रेट्स की यह मांग कि ट्रंप या उनके परिवार को स्टेबलकॉइन जारी करने से रोका जाए, अभी तक शामिल नहीं हुई है। ट्रंप समर्थित कंपनी World Liberty Financial पहले ही अपनी स्टेबलकॉइन जारी कर चुकी है, जो विवादों में रही है।

कानून के प्रभावी बिंदु

यदि यह कानून पारित होता है, तो:

  • केवल बैंक और वैध कंपनियाँ ही स्टेबलकॉइन जारी कर सकेंगी
  • इन स्टेबलकॉइन्स को अमेरिकी ट्रेज़री जैसे Highly Liquid Assets से समर्थित होना अनिवार्य होगा
  • मासिक रूप से रिज़र्व की रिपोर्ट देनी होगी
  • आवश्यक होने पर सरकारी एजेंसियों के अनुरोध पर टोकन को फ्रीज़ किया जा सकेगा

भारत के लिए क्या संकेत है?

अमेरिका द्वारा इस तरह का स्टेबलकॉइन फ्रेमवर्क लागू करना भारत जैसे देशों के लिए भी नजीर बन सकता है। भारत सरकार और RBI पहले से डिजिटल रुपया (CBDC) पर काम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक क्रिप्टोकरेंसी और स्टेबलकॉइन को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं है।

इस बिल जैसे कानून भारत को एक नया रोडमैप दे सकते हैं:

  • क्रिप्टो निवेशकों की सुरक्षा
  • लेनदेन में पारदर्शिता
  • फिनटेक स्टार्टअप्स को नियामकीय आधार

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