कोरोनावायरस (कोविड-19) ने पूरी दुनिया को 2020 में जिस तरह हिला कर रख दिया था, उसकी यादें आज भी ताज़ा हैं। लाखों लोग संक्रमित हुए, कई परिवार उजड़ गए, और दुनियाभर की अर्थव्यवस्था ठप पड़ गई। जब सभी को लगा कि महामारी अब पीछे छूट चुकी है, तब 2025 की गर्मियों में फिर से कोविड के मामलों में उछाल देखने को मिला है।
प्रश्न यही है—क्या हम फिर उसी लापरवाही के रास्ते पर चल पड़े हैं? क्या यह दूसरी बड़ी भूल साबित हो सकती है?
हाल ही में आई रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के कई राज्यों में कोरोनावायरस मामलों में तेजी देखी गई है। महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली और कर्नाटक में नए केसों की संख्या में इज़ाफा हुआ है।
राज्यवार कोरोनावायरस सक्रिय मामलों की स्थिति (26 मई 2025 तक)
राज्य | सक्रिय मामले |
केरल | 430 |
महाराष्ट्र | 209 |
दिल्ली | 104 |
गुजरात | 83 |
कर्नाटक | 38 |
तमिलनाडु | 66 |
उत्तर प्रदेश | 44 |
पश्चिम बंगाल | 11 |
आंध्र प्रदेश | 4 |
बिहार | 1 |
झारखंड | 1 |
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार:
- कोविड के नए वैरिएंट्स की पहचान की गई है (जैसे कि XBB.1.16)।
- संक्रमितों में से अधिकांश को बुखार, गले में खराश, थकान और सूखी खांसी की शिकायत है।
- हालांकि ज़्यादातर मामलों में लक्षण हल्के हैं, लेकिन बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों में खतरा बना हुआ है।
कोरोनावायरस की पहली और दूसरी लहर ने हमें कई कड़वे सबक सिखाए:
- अस्पतालों की कमी, ऑक्सीजन की किल्लत और स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली।
- अफवाहें और फेक न्यूज ने भय को बढ़ाया।
- लोगों की लापरवाही—मास्क न पहनना, त्योहारों और चुनावी रैलियों में भीड़—ने संकट को और गहरा कर दिया।
इन सबके बावजूद, जब केस कम हुए, तो हमने सतर्कता छोड़ दी।
सरकार की तैयारियाँ
केंद्र और राज्य सरकारें स्थिति पर नजर रख रही हैं और संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कदम उठा रही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि देश में वैक्सीन निर्माण की पर्याप्त क्षमता है और जरूरत पड़ने पर जल्दी नई वैक्सीन तैयार की जा सकती है। सरकार ने अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों को अलर्ट पर रखा है और टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट की दिशा में ज़ोर देने को कहा है। साथ ही विशेषज्ञों ने लोगों को मास्क पहनने, सार्वजनिक जगहों पर सतर्कता बरतने और कोविड-19 की गाइडलाइन्स का पालन करने की सलाह दी है।
क्या फिर दोहरा रहे हैं वही गलतियाँ?
अफसोस की बात यह है कि वर्तमान परिदृश्य में हम वही गलती दोबारा कर रहे हैं:
- मास्क का उपयोग घटा: सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने की आदत फिर से छूट रही है।
- भीड़ में सावधानी नहीं: बाजारों, बसों और रेल स्टेशनों पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखती।
- बूस्टर डोज़ की अनदेखी: कई लोगों ने अभी तक बूस्टर टीका नहीं लिया है
कोरोनावायरस के नए लक्षण और वैरिएंट
नई कोरोनावायरस लहर के साथ आए नए वैरिएंट्स कुछ अलग तरह से असर डाल रहे हैं:
- लक्षणों में बदलाव: अब संक्रमितों को हल्का बुखार, सिरदर्द, आँखों में जलन और गले में खराश की शिकायत है।
- तेज़ी से फैलने की क्षमता: नया वैरिएंट तेजी से फैलता है, भले ही लक्षण गंभीर न हों।
- ज्यादा खतरा: बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और डायबिटीज/हृदय रोग से पीड़ित लोग अधिक प्रभावित हो सकते हैं।
हमारी ज़िम्मेदारी: क्या करें और क्या न करें
जो करें:
- सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनें
- हाथों को बार-बार साबुन या सैनिटाइज़र से साफ़ करें
- भीड़-भाड़ से बचें
- कोविड बूस्टर डोज़ अवश्य लें
- बुजुर्गों और बच्चों की अतिरिक्त देखभाल करें
जो न करें:
- बिना लक्षण के भी खुद को सुरक्षित मानकर लापरवाही न बरतें
- फेक न्यूज या बिना पुष्टि के जानकारी न फैलाएं
- इलाज में देरी न करें—हल्के लक्षणों में भी डॉक्टर से परामर्श लें
हालांकि वर्तमान में कोरोनावायरस की स्थिति पहले जैसी गंभीर नहीं है, फिर भी सतर्कता और सावधानी बरतना आवश्यक है। सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियां स्थिति पर नजर रख रही हैं, लेकिन हमारी व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। मास्क पहनना, हाथ धोना, भीड़-भाड़ से बचना और समय पर टीकाकरण करवाना जैसे सरल उपाय हमें और हमारे समाज को सुरक्षित रख सकते हैं।