RBI की मौद्रिक नीति का महत्व :RBI की नीतियाँ सीधे तौर पर लोन की ब्याज दरों और EMI पर प्रभाव डालती हैं।भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति का उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना
भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति: ब्याज दरों में कटौती, विकास को बढ़ावा देने पर फोकस
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 6 जून 2025 को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 55वीं बैठक के बाद रेपो दर में 50 आधार अंकों की कटौती करते हुए इसे 5.50% कर दिया है। मुद्रास्फीति के लगातार कम होने और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच, RBI ने नीतिगत रुख को ‘अनुकूल’ से बदलकर ‘तटस्थ’ कर दिया है।
RBI ने कहा कि मजबूत कृषि उत्पादन, बढ़ती निजी खपत और निवेश गतिविधियों के संकेतों के बावजूद वैश्विक जोखिम अभी भी चिंता का विषय हैं। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP वृद्धि दर का अनुमान 6.5% और CPI मुद्रास्फीति का अनुमान 3.7% रखा गया है।
तरलता बढ़ाने के लिए CRR में भी 1% की कटौती की घोषणा की गई है, जिससे दिसंबर 2025 तक ₹2.5 लाख करोड़ की प्राथमिक नकदी प्रणाली में आएगी। कुल मिलाकर, RBI ने नीतियों को इस तरह ढाला है कि मूल्य स्थिरता बनाए रखते हुए आर्थिक वृद्धि को गति मिल सके।
वैश्विक परिदृश्य और भारत की स्थिति
- दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखें तो वैश्विक अर्थव्यवस्था अब आर्थिक और वित्तीय विखंडन की ओर अग्रसर हो रही है। वित्तीय प्रणाली में जटिल अंतर्संबंध, ऊँचे ऋण स्तर और उभरती तकनीकों की भूमिका वित्तीय स्थिरता के लिए चिंता का कारण बन रहे हैं। ऐसे समय में जब पूंजी प्रवाह और विनिमय दरों में अत्यधिक अस्थिरता है और नीति विकल्प सीमित हैं, विकासशील देशों की केंद्रीय बैंकों पर घरेलू स्थिरता बनाए रखने का दबाव और बढ़ गया है।
- ऐसे वैश्विक परिदृश्य में, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती, स्थिरता और अवसर का प्रतीक बनकर उभरी है।
- मजबूती: कॉर्पोरेट, बैंक, घरेलू क्षेत्र, सरकार और बाह्य क्षेत्र – इन पांचों क्षेत्रों की मजबूत बैलेंस शीट।
- स्थिरता: मूल्य, वित्तीय और राजनीतिक – तीनों स्तरों पर स्थिरता से नीति-निर्माण में स्पष्टता।
- अवसर: जनसंख्या संरचना (Demography), डिजिटलीकरण (Digitalisation) और घरेलू मांग (Domestic demand) जैसे तीन प्रमुख ड्राइवर।
यह 5x3x3 की मौलिक संरचना वैश्विक झटकों से भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने और तीव्र गति से आगे बढ़ाने के लिए आधार प्रदान करती है।
मौद्रिक नीति समिति के निर्णय
- MPC ने 4, 5 और 6 जून को बैठक कर मौद्रिक और वित्तीय विकासों की समीक्षा की। इसके बाद समिति ने सर्वसम्मति से नीति रेपो दर को 50 आधार अंक (bps) घटाकर 5.50% करने का निर्णय लिया। इसके परिणामस्वरूप, SDF दर 5.25% और MSF व बैंक दर 5.75% हो गई है।
- इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण यह है कि पिछले छह महीनों में मुद्रास्फीति में व्यापक रूप से गिरावट आई है। अक्टूबर 2024 में मुद्रास्फीति सहनशीलता सीमा से ऊपर थी, लेकिन अब वह लक्षित 4% से काफी नीचे है। खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी और वैश्विक वस्तु कीमतों में गिरावट के कारण कोर मुद्रास्फीति भी स्थिर बनी हुई है। पूरे वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को घटाकर 3.7% किया गया है।
- दूसरी ओर, वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण आर्थिक विकास हमारी अपेक्षाओं से नीचे है। इसलिए, यह जरूरी हो गया है कि घरेलू खपत और निवेश को नीतिगत प्रोत्साहन के ज़रिये बढ़ावा दिया जाए। इसी को ध्यान में रखते हुए, समिति ने नीतिगत दर में 50 आधार अंकों की कटौती को “फ्रंटलोड” करने का निर्णय लिया है।
- फरवरी 2025 से अब तक 100 आधार अंकों की कटौती की जा चुकी है, जिससे नीति के पास अब सीमित स्थान बचा है। अतः समिति ने अपनी मौद्रिक नीति रुख को ‘अनुकूल’ (accommodative) से बदलकर ‘तटस्थ’ (neutral) कर दिया है। अब से MPC आगे के आर्थिक आंकड़ों और वैश्विक परिस्थितियों के आधार पर अगला कदम तय करेगा।
मुख्य बिंदु:
- रेपो दर घटाकर 5.50%
- मुद्रास्फीति अनुमान: 3.7%
- GDP वृद्धि अनुमान: 6.5%
- नीतिगत रुख: ‘तटस्थ’
- CRR में क्रमिक 1% कटौती
- मजबूत कृषि, सेवा और निवेश गतिविधि
यह नीतिगत कदम देश में आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और निवेश को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
इस निर्णय का उद्देश्य और आर्थिक संकेतक
- मुद्रास्फीति (CPI): अप्रैल 2025 में घटकर 3.2% पर आ गई, जो 6 साल का न्यूनतम स्तर है।
- 2025-26 के लिए CPI अनुमान: 3.7%
- GDP ग्रोथ: 2024-25 में 6.5%, और Q4 में 7.4% की मजबूती दिखी।
- RBI का फोकस अब विकास को प्रोत्साहित करने पर है, क्योंकि महंगाई नियंत्रण में है।
लोन और EMI पर असर
EMI क्यों घटेगी?
- रेपो रेट में कटौती से बैंक अब कम ब्याज दर पर RBI से उधार ले सकते हैं।
- इससे होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की दरों में गिरावट संभव है।
उदाहरण: ₹50 लाख का 20 साल का होम लोन
ब्याज दर | EMI (प्रतिमाह) | कुल भुगतान |
पहले (6%) | ₹42,983 | ₹1.03 करोड़ |
अब (5.50%) | ₹41,419 | ₹99.40 लाख |
फायदा: लगभग ₹1,564 कम EMI और ₹3.6 लाख की कुल बचत! |
आपके लिए सुझाव (लोन धारकों के लिए)
- फ्लोटिंग रेट लोन वाले ग्राहकों को EMI में तुरंत राहत मिल सकती है।
- फिक्स्ड रेट लोन वालों को रीफाइनेंस या बैलेंस ट्रांसफर पर विचार करना चाहिए।
- लोन लेने से पहले ब्याज दरों की तुलना करें और बैंकों से नेगोसिएशन करें।
- EMI घटने पर प्री-पेमेंट करके ब्याज और कार्यकाल दोनों घटाएं।
बाजार और निवेशकों के लिए प्रभाव
- FD और सेविंग्स अकाउंट रेट में संभावित गिरावट
- शेयर बाजार में सकारात्मक रुझान की संभावना
- गोल्ड प्राइस में उतार-चढ़ाव पर नजर जरूरी
पूरी जानकारी और आधिकारिक विवरण के लिए RBI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।