प्रस्तावना: तकनीक में भी आत्मनिर्भरता ज़रूरी है
अमेरिका ने कहा Apple भारत में मैन्युफैक्चरिंग बंद करेगा। अब समय है भारत के युवाओं का, Apple हटाओ, स्वदेशी अपनाओ! जानिए कैसे आत्मनिर्भर भारत के सपने को तकनीक में साकार करें।वर्षों से भारत में तकनीक का बड़ा बाजार रहा है। हर युवा चाहता है कि उसके हाथ में एक महंगा और प्रतिष्ठित स्मार्टफोन हो। इसी चाहत ने विदेशी कंपनियों को भारत में पैर जमाने का मौका दिया। लेकिन अब वक्त आ गया है कि हम Apple हटाओ, स्वदेशी अपनाओ के विचार को अपनाएं। जब देश आगे बढ़ रहा है, तो तकनीक में भी आत्मनिर्भर बनना ज़रूरी है।
Apple क्यों बन गया है चर्चा का विषय?
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति ने संकेत दिया कि Apple अब भारत में मैन्युफैक्चरिंग नहीं करेगा। यह भारत के लिए एक बड़ा झटका है। लेकिन यही मौका है जब हमें समझना होगा कि विदेशी ब्रांड्स पर अत्यधिक निर्भरता हमें नुकसान पहुँचा सकती है। यही कारण है कि Apple हटाओ, स्वदेशी अपनाओ की गूंज अब ज़ोर पकड़ रही है।
Apple टैक्स: भारत के उपभोक्ताओं पर भारी बोझ
Apple कंपनी ने विश्वभर में अपनी प्रोडक्ट्स की कीमतों में एक अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिसे आमतौर पर “Apple टैक्स” कहा जाता है। यह टैक्स कोई सरकारी कर नहीं, बल्कि Apple की अपनी नीतियों के तहत लगने वाला एक अतिरिक्त चार्ज है, जो उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ता है।
Apple टैक्स कैसे काम करता है?
जब आप iPhone या MacBook जैसे Apple प्रोडक्ट खरीदते हैं, तो उनकी कीमत में एक हिस्सा Apple टैक्स के रूप में जुड़ा होता है। इसका मुख्य कारण Apple के ऐप स्टोर पर खरीदी जाने वाली ऐप्स, सब्सक्रिप्शन, और इन-ऐप पर्चेज पर लगने वाला 30% कमीशन है। यह कमीशन Apple सीधे अपने मुनाफे के लिए रखता है, जिससे उपभोक्ता को अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।
Apple टैक्स के कारण भारत को नुकसान
उच्च कीमतें: भारतीय ग्राहक को Apple के प्रोडक्ट्स के लिए अतिरिक्त कीमतें चुकानी पड़ती हैं, जो उन्हें महंगा और अक्सर असंभव बना देती हैं।
स्वदेशी उद्योग का नुकसान: जब विदेशी कंपनियाँ भारी टैक्स और कमीशन लगाती हैं, तो भारत के स्थानीय मोबाइल ब्रांड्स को प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो जाता है।
देश की अर्थव्यवस्था पर असर: करोड़ों रुपये विदेशी कंपनियों के पास जाते हैं, जो देश में निवेश और रोजगार के अवसरों को कम कर देता है।
आत्मनिर्भर भारत का सपना – तकनीक के साथ
प्रधानमंत्री मोदी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान सिर्फ कृषि, स्वास्थ्य या रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं है। तकनीक में भी हमें स्वतंत्र होना होगा। यदि हम हर साल अरबों रुपये विदेशी कंपनियों को देते हैं, तो यह हमारी अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है। अब हमें चाहिए – Apple हटाओ, स्वदेशी अपनाओ की नीति पर चलना।
क्या हैं भारत में स्वदेशी विकल्प?
भारत के पास पहले से कई ऐसे मोबाइल ब्रांड्स हैं जो प्रतिस्पर्धा में आने को तैयार हैं:
- Lava
- Micromax
- Karbonn
- Jio Phone
ये कंपनियाँ अगर जनसमर्थन पाएं, तो Apple जैसी विदेशी कंपनियों का विकल्प बन सकती हैं। इसलिए हमारा अगला कदम होना चाहिए – Apple हटाओ, स्वदेशी अपनाओ।
मानसिक आज़ादी ज़रूरी है
Apple ब्रांड ने भारत में एक तरह की मानसिक गुलामी फैलाई है। युवा सोचते हैं कि अगर उनके पास iPhone नहीं है तो वे “कूल” नहीं हैं। यह सोच खतरनाक है। हमें इस भ्रम से बाहर निकलना होगा और कहना होगा – Apple हटाओ, स्वदेशी अपनाओ।
रोज़गार और अर्थव्यवस्था का संबंध
जब कोई भारतीय कंपनी बढ़ती है, तो वह हजारों लोगों को रोज़गार देती है। लेकिन जब विदेशी कंपनियाँ भारत में केवल बेचने आती हैं, तो उन्हें हमारे कामगारों की ज़रूरत नहीं होती। अगर हम स्वदेशी अपनाओ को अपनाएं, तो भारत में लाखों नौकरियाँ पैदा हो सकती हैं।
Apple को छोड़ना असंभव नहीं
कई लोग मानते हैं कि Apple का कोई विकल्प नहीं है, लेकिन यह पूरी तरह गलत है। आज टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ चुकी है कि भारतीय कंपनियाँ भी उच्च गुणवत्ता वाले फोन बना रही हैं। ज़रूरत है तो बस एक सामूहिक निर्णय की
सोशल मीडिया से अभियान की शुरुआत
अगर आप सच में बदलाव चाहते हैं, तो आज ही सोशल मीडिया पर इस मुहिम से जुड़िए:
- WhatsApp स्टेटस लगाइए: Apple हटाओ, स्वदेशी अपनाओ
- Instagram Reels बनाइए: भारत का अपना स्मार्टफोन चुनिए
- Twitter/X पर हैशटैग चलाइए: #SwadeshiPhone #AppleHatao
निष्कर्ष: अब वक्त है निर्णायक कदम उठाने का
देशभक्ति केवल झंडा फहराने तक सीमित नहीं है। असली देशभक्ति वह है, जब हम अपने रोज़मर्रा के चुनावों में भी देश को प्राथमिकता दें। तकनीक का क्षेत्र इससे अलग नहीं है। इसलिए हमें आज से ही ठान लेना चाहिए –
“मोबाइल सिर्फ डिवाइस नहीं, देशभक्ति का माध्यम बन सकता है।”
“Apple हटाओ, स्वदेशी अपनाओ – अब स्मार्टफोन में भी हो भारत की पहचान।”