क्या भारत आत्मनिर्भर बन सकता है आत्मनिर्भर भारत” केवल एक नारा नहीं बल्कि करोड़ों भारतीयों की उम्मीद है। आज भारत दुनिया के दो सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों — चीन और अमेरिका — से अरबों डॉलर की वस्तुएं आयात करता है। ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है: क्या हम वो चीजें देश में ही नहीं बना सकते जो हम विदेशों से खरीदते हैं?
आइए जानें भारत अमेरिका और चीन से क्या खरीदता है, और क्या इन उत्पादों का निर्माण अपने देश में संभव है। क्या भारत आत्मनिर्भर बन सकता है?
भारत अमेरिका से क्या आयात करता है? भारत अमेरिका से जिन प्रमुख वस्तुओं का आयात करता है, उनमें शामिल हैं:
- विमान और उनके कलपुर्जे
- चिकित्सा उपकरण (Medical Devices)
- कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद
- तेल और गैस
- सोयाबीन, मेवे और खाद्य उत्पाद
- वैज्ञानिक यंत्र और रसायन
क्या ये भारत में बन सकते हैं? हां, लेकिन चुनौतियों के साथ।
- भारत ने रक्षा और एयरोस्पेस में निवेश बढ़ाया है। HAL और DRDO जैसे संस्थान विमान निर्माण में सक्षम हैं।
- मेडटेक सेक्टर में “मेक इन इंडिया” नीति के तहत भारतीय कंपनियां मेडिकल डिवाइसेज़ बना रही हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन चिप निर्माण जैसी उच्च तकनीक अभी शुरुआती दौर में है।
भारत चीन से क्या आयात करता है? भारत चीन से आयात किए जाने वाले प्रमुख उत्पाद:
- इलेक्ट्रॉनिक सामान और मोबाइल फोन
- ऑटो पार्ट्स और मशीनरी
- केमिकल्स और फार्मास्युटिकल्स API
- खिलौने और सस्ते प्लास्टिक प्रोडक्ट्स
- स्टील और अल्युमीनियम उत्पाद
- सौर पैनल और बैटरियाँ
क्या ये भारत में बन सकते हैं? बिलकुल बन सकते हैं — और कई तो बन भी रहे हैं।
- भारत में स्मार्टफोन असेंबली यूनिट्स की बाढ़ है। Apple और Samsung जैसी कंपनियां भी अब भारत में निर्माण कर रही हैं।
- फार्मा क्षेत्र में भारत दुनिया का “Pharmacy Hub” है, लेकिन API निर्माण में अभी भी चीन पर निर्भरता है।
- सरकार की PLI स्कीम ने इलेक्ट्रॉनिक्स, EV बैटरी और सोलर मॉड्यूल निर्माण को बढ़ावा दिया है।
भारत आत्मनिर्भर निर्माण में चुनौतियाँ
- कच्चे माल की निर्भरता:
कई तकनीकी उत्पादों के लिए रॉ मैटेरियल्स भारत में सीमित मात्रा में हैं। - तकनीकी दक्षता की कमी:
हाई-एंड चिप्स, सॉफिस्टिकेटेड मशीनरी और एयरोस्पेस उपकरणों के लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता है। - इन्फ्रास्ट्रक्चर:
कई क्षेत्रों में बिजली, सड़क, लॉजिस्टिक्स की स्थिति अभी भी बेहतर करने की जरूरत है। - कीमत और प्रतिस्पर्धा:
चीन जैसी अर्थव्यवस्थाएं उत्पादन को इतनी सस्ती बना देती हैं कि भारतीय उत्पाद महंगे लगते हैं।
लेकिन भारत आत्मनिर्भर बन सकता है, उम्मीद भी है…
- मेक इन इंडिया मिशन ने इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, रक्षा, टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों को नया जीवन दिया है।
- स्टार्टअप इंडिया और वोकल फॉर लोकल मुहिम ने युवाओं में नया जोश भर दिया है।
- PLI (Production Linked Incentive) स्कीम के ज़रिए सरकार अब घरेलू निर्माण को वित्तीय रूप से प्रोत्साहित कर रही है।
भारत आत्मनिर्भर के लिए, भारत ने क्या बनाना शुरू कर दिया है?
मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण:
भारत अब मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का हब बन रहा है।
- Apple और Samsung जैसी कंपनियां भारत में बड़ी यूनिट्स लगा चुकी हैं।
- 2023-24 में भारत ने रिकॉर्ड 14 अरब डॉलर के मोबाइल फोन निर्यात किए।
2. रक्षा और एयरोस्पेस:
- HAL और DRDO जैसे संस्थान लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA), ड्रोन, रडार, मिसाइल आदि का निर्माण देश में ही कर रहे हैं।
- भारत अब कई देशों को ब्रह्मोस मिसाइल और सैन्य साजो-सामान निर्यात कर रहा है।
3. फार्मास्युटिकल्स और मेडिकल उपकरण:
- भारत पहले से ही एक दुनिया का फार्मा सुपरपावर है।
- अब सरकार API (Active Pharmaceutical Ingredient) निर्माण में आत्मनिर्भर बनने के लिए बड़ी योजनाएं चला रही है।
4. सोलर पैनल और बैटरियाँ:
- “सौर ऊर्जा मिशन” के तहत भारत में सोलर पैनल निर्माण यूनिट्स लग रही हैं।
- EV सेक्टर के लिए लिथियम-आयन बैटरी असेंबली भी शुरू हो गई है।
5. खिलौना उद्योग:
- भारत अब विदेशी खिलौनों की बजाय देसी खिलौनों के निर्माण पर ज़ोर दे रहा है।
- 2020 के बाद से भारत के घरेलू खिलौना उद्योग में 60% से अधिक वृद्धि हुई है।
6. सेमीकंडक्टर निर्माण की शुरुआत:
- 2024 में भारत ने गुजरात में पहला सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाने की घोषणा की है, जिसमें Foxconn जैसी कंपनियाँ निवेश कर रही हैं।
7. रेल और ट्रांसपोर्ट:
- वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी हाई-स्पीड ट्रेनें पूरी तरह भारत में डिज़ाइन और निर्मित की गई हैं।
आम भारतीयों के लिए भारत आत्मनिर्भर के क्या मायने?
क्या भारत आत्मनिर्भर बन सकता है, मुद्दे का भारतीय जनमानस से गहरा रिश्ता है। जब आप अपने घर में बना खिलौना खरीदते हैं, तो सिर्फ एक सामान नहीं, आत्मसम्मान खरीदते हैं। हर स्थानीय उत्पाद, एक स्थानीय परिवार की उम्मीद को जिन्दा रखता है।
- हर मेड इन इंडिया प्रोडक्ट एक स्वदेशी क्रांति है।
- हर विदेशी उत्पाद पर निर्भरता एक अवसर की कमी है।
निष्कर्ष: भारत आत्मनिर्भर एक सपना नहीं, संकल्प है
भारत वो देश है जिसने चंद्रमा पर पहुंचकर दुनिया को चौंकाया, कोरोना की वैक्सीन बनाकर लाखों जानें बचाईं और डिजिटल पेमेंट्स में क्रांति की। ऐसे में चीन या अमेरिका से खरीदे जाने वाले उत्पाद हमारे लिए अवसर हैं — उनकी जगह भरने के।
हां, भारत ये सब चीजें बना सकता है — शर्त सिर्फ इतनी है कि हम सब साथ आएं।