सिंदूर का महत्व क्या है?
यह सिद्ध हो चुका है ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से सिंदूर का महत्व भारतीय समाज में अत्यंत विशेष माना गया है। यह केवल एक श्रृंगार नहीं, बल्कि विवाहित नारी के जीवन का पवित्र चिह्न है। जब कोई स्त्री अपनी माँग में सिंदूर लगाती है, तो वह अपने पति के प्रति प्रेम, समर्पण और श्रद्धा को दर्शाती है। हिंदू परंपराओं में इसे सौभाग्य, लंबी आयु और पारिवारिक समृद्धि से जोड़ा गया है।
ऑपरेशन सिंदूर बना बलिदान और भारत माँ का गर्व
सिंदूर का महत्व केवल सौभाग्य और श्रृंगार तक सीमित नहीं है। जब एक वीर नारी अपने पति को राष्ट्रसेवा में भेजती है, तो वह अपनी माँग का सिंदूर पूरे विश्वास, गर्व और देशभक्ति के साथ सजाती है। वह जानती है कि उसका सिंदूर अब सिर्फ वैवाहिक प्रेम का नहीं, बल्कि राष्ट्र रक्षा के संकल्प का प्रतीक बन चुका है।यही सोच है “ऑपरेशन सिंदूर” की – जहाँ हर माँग में लगे सिंदूर में एक वीर जवान की प्रेरणा, एक सशक्त नारी का आशीर्वाद और भारत माता की रक्षा की भावना बसती है।
विदेश सचिव ने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर बहुत ही जिम्मेदारीपूर्ण और बिना किसी उकसावे के किया गया कार्य है।
ऑपरेशन सिंदूर: क्या है इसकी भावना?
ऑपरेशन सिंदूर कोई सैन्य कार्यवाही मात्र नहीं, यह एक सांस्कृतिक और राष्ट्रभक्तिपूर्ण संदेश है — कि हर नारी का सिंदूर अब एक प्रतीक है साहस, प्रेम, त्याग और देश सेवा का। जब सैनिक सीमा पर खड़ा होता है, तो उसके पीछे होती है एक नारी – उसकी माँ, पत्नी या बहन – जो अपने सिंदूर में संकल्प और विश्वास भरकर उसे विदा करती है।यह ऑपरेशन देश को यह याद दिलाता है कि सिंदूर अब केवल श्रृंगार नहीं, एक राष्ट्रधर्म है।
सांस्कृतिक पहचान और सिंदूर का महत्व
भारत जैसे संस्कृति-प्रधान देश में, सिंदूर का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक पहचान से भी जुड़ा है। विवाहित स्त्रियाँ जब सिंदूर लगाकर घर से बाहर निकलती हैं, तो यह समाज के लिए एक संकेत होता है कि वह अपने जीवनसाथी के साथ है और विवाह बंधन में बंधी हुई है।
सौभाग्य का प्रतीक: सिंदूर का महत्व
सिंदूर का महत्व इस बात से भी जुड़ा है कि इसे ‘सौभाग्य’ का प्रतीक माना जाता है। किसी स्त्री की माँग में सिंदूर देखकर ही समाज उसे सौभाग्यवती मानता है। यह न केवल उसकी वैवाहिक स्थिति, बल्कि उसके पति की लंबी उम्र और रिश्ते की मजबूती का संकेत देता है।यह सिद्ध हो चुकी है ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से
धार्मिक दृष्टिकोण से सिंदूर का महत्व
धार्मिक दृष्टि से देखें तो सिंदूर का महत्व देवी पार्वती के साथ जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जब माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया, तब उन्होंने अपनी माँग में सिंदूर भरा। तभी से विवाहित स्त्रियाँ भी सिंदूर धारण करने लगीं। सिंदूर एक स्त्री के पति के आरोग्य, दीर्घायु और सौभाग्य की कामना से जुड़ा हुआ है।
सिंदूर और देशभक्ति: आधुनिक नारी का आह्वान
आज की भारतीय नारी सिर्फ घर तक सीमित नहीं है। वह डॉक्टर है, सैनिक है, पुलिस अधिकारी है, और जब ज़रूरत पड़े, तो सीमा पर बंदूक उठाने वाली ‘वीरांगना’ भी है। उसका सिंदूर आज शृंगार के साथ-साथ उसकी देश के लिए निष्ठा और प्रतिबद्धता का परिचायक बन गया है।“ऑपरेशन सिंदूर” का संदेश यही है — हर सिंदूर अब तिरंगे की रक्षा की सौगंध है।
सामाजिक संदेश: ऑपरेशन सिंदूर हर घर तक पहुँचे
अब ज़रूरत है कि “ऑपरेशन सिंदूर” का संदेश हर घर, हर माँ, हर बहन और हर पत्नी तक पहुँचे। उन्हें यह महसूस हो कि उनका सिंदूर ही देश की अस्मिता है, और जब वे उसे माँग में सजाती हैं, तो वे अनजाने में ही देश की रक्षा में भागीदार बन जाती हैं।
यही अभियान है – नारी सम्मान + देशप्रेम = ऑपरेशन सिंदूर।
निष्कर्ष: सिंदूर नहीं, यह देश की आत्मा हैसिंदूर का महत्व अब केवल पारंपरिक नहीं रहा — वह एक राष्ट्रीय भावना, एक सांस्कृतिक संकल्प, और एक देशभक्ति का दीपक बन चुका है। “ऑपरेशन सिंदूर” उस शक्ति को पहचानने का अभियान है, जो हर नारी की माँग में बसती है।